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परिवर्तन प्रकृति का नियम है प्रगति का अगला कदम तभी बढ़ता है जब पिछला कदम आधार का काम करता है । वर्तमान राजकीय विधि महाविद्यालय का अतीत राजस्थान की गौरवशाली परम्परा की धरोहर शेखावाटी अंचल में अवस्थित चूरू जिले के स्नातकोत्तर लोहिया महाविद्यालय में सन 1979 से विधि संकाय के रूप में दैदीप्यमान हुआ । महाविद्यालय का वर्तमान स्वरूप राज्य सरकार और बार कौंसिल आफ इण्डिया की मंशा के अनुरूप स्वतन्त्र राजकीय विधि महाविद्यालय के रूप में दिनांक 12 मई , 2005 को अस्तित्व में आया । नई ऊर्जा और स्फूर्ति से ओत प्रोत होकर महाविद्यालय में विधि स्नातक एल.एल.बी पाठ्यक्रम के विस्तार की श्रृंखला में पूर्व में संचालित एकमात्र वर्ग । 60 सीटों ) में वृद्धि कर स्ववित्तपोषी विधि स्नातक पाठ्यक्रम का एक अतिरिक्त वर्ग ( 60 सीटे ) सत्र 2007-08 में स्थापित किया गया । सत्र 2006-07 में विधि स्नातक के पश्चात् इस अंचल के छात्र विधि में स्नातकोत्तर में अध्ययन करने के लिए राज्य के दूसरे जिलों में जाने के लिए विवश और आर्थिक संसाधनों के अभाव में मेधावी छात्र उच्च स्तरीय अध्ययन से वंचित होने के लिए अभिशप्त होते रहे । आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा राजस्थान , जयपुर और बीकानेर विश्वविद्यालय बीकानेर के संयुक्त सहयोग और दिशा निर्देशों के फलस्वरूप एल.एल. एम . ( 40 स्थान ) पाठ्यक्रम का संचालन सत्र 2006-07 से प्रारम्भ हुआ । इसी क्रम में विधि महाविद्यालय के नये भवन हेतु लोहिया महाविद्यालय के पीछे लगभग 3 बीघा भूमि का आवंटन हुआ व दिनांक 19 सितम्बर 2015 को इसका शिलान्याश हुआ , दो वर्ष की रिकार्ड अवधि में शानदान भवन बनकर तैयार हुआ जिसका उदघाटन दिनांक 21 सितम्बर 2017 को हुआ , वर्तमान में चूरू जिले के एकमात्र विधि महाविद्यालय में बी.सी.आई. के मानको के अनुरूप आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित भवन छात्रों के अध्ययन के लिए उपलब्ध है । जिनमें जिले का प्रथम वातानुकुलित मूट कोर्ट भवन , डिजिटल पुस्तकालय , विधिक सेवा केन्द्र उपलब्ध है , गत 03 वर्षों में ही महाविद्यालय ने नए कीर्तिमान स्थापित किय हैं । विधि की अज्ञानता शोषण को जन्म देती है और विधि से शक्तिशाली दूसरा कोई नहीं ( Nothing is mightier than Law . Kathopnishad " ) fase 2/12 सरकारों के गठन , कॉरपोरेट , प्रबन्ध , कम्प्यूटर , चिकित्सा , समुद्र , पारिवारिक , साम्पतिक , वित्तीय , वैवाहिक , राष्ट्रीय , अन्तर्राष्ट्रीय संगठन , सेवा क्षेत्र , स्पेस , न्यूक्लीयरडील , अभियांत्रिकी , युद्ध , मानव अधिकार , पर्यावरण सहित जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विधि की गहरी पेठ होने से समाज में विधि की उपादेयता और विस्तार में निरन्तर वृद्धि हो रही है । नवीनतम तकनीक और वैज्ञानिक खोजों ने जहाँ मानव समाज की सुविधाओं में वृद्धि की है । वहीं इसके दुरूपयोग को रोकने के लिए विधि को भी सामंजस्य स्थापित करना पड़ता है अन्यथा यह समाज के लिए घातक हो सकता है । ऐसे कार्यों के निराकरण के लिए विधि के क्षेत्र में विभिन्न लक्षण विद्यमान है । उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय में विधि के क्षेत्र में शोध सुविधा भी उपलब्ध है और महाविद्यालय में कर्मठ और प्रशिक्षित संकाय सदस्यों के सहयोग से सभी पाठक्रम सहजता से संचालित किए जा रहे हैं । इस संस्था ने कई छात्र शिक्षाविद , अधिवक्ता , प्रशासक , न्यायाधीश और व्यवसाय के क्षेत्रों में प्रतिष्ठित होकर अपनी महान सेवाओं से महाविद्यालय को गौरवान्वित कर रही है । महाविद्यालय के कई छात्रों का बहुराष्ट्रीय कंपनियों में उच्च पदों पर चयन हुआ है और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के स्नातकोतर विज्ञान कक्षा में व राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा ( NET ) लगभग 20 छात्र - छात्राओं का चयन हुआ हैं । इसकी अतिरिक्त न्यायिक सेवा , 40 छात्र , 52 APO , 40 से ज्यादा 10 मे भी चयन हुआ है । हम सामाजिकता के गुणों से सम्पन्न सुयोग्य नागरिकों का निर्माण हो , समाज में आपसी भाईचारा सौहार्द और समरसता का वातावरण बने । छात्र - छात्राओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में पल्लवित करने के लिए हम निरन्तर कृत संकल्प है ।